Sunday 5 April 2015

Ghar Kharidne se pehle rkhein in 10 baaton ka dhyaan, Nahi Thagg paega koi

लोग अपना घर बनाने में अपनी जिंदगी का सारी जमा पूंजी खर्च कर देते हैं। ऐसे में कई सारे बिल्डर लोगों को लुभावने ऑफर देकर उनका गलत फायदा उठाते हैं।

देश के छोटे-बड़े शहरों में जैसे-जैसे प्रॉपर्टी की कीमतों में तेजी आ रही है, लोगों से उनके सपनों का घर हकीकत में बनाने के नाम पर ठगी और धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं।

शुरुआती जांच-पड़ताल

प्रॉपर्टी को लेकर धोखाधड़ी के अधिकतर मामलों में देखा गया है कि खरीदार ने शुरुआती जांच-पड़ताल ठीक से नहीं की। बिल्डर की तरफ से दिखाए गए ब्रॉशर पर ही भरोसा करके अपने जीवन की गाढ़ी कमाई घर खरीदने में न लगाएं। प्रॉपर्टी को खुद जाकर देखें और सुनिश्चित करें कि वह आपके लिए सही है।

1- ब्रॉशर नहीं, अप्रूव्ड लेआउट मैप देखें

किसी मकान को खरीदते वक्त सबसे पहले बिल्डर से प्रोजेक्ट का अप्रूव्ड लेआउट मैप दिखाने को कहें। ज्यादातर अच्छेे बिल्डर खुद ही प्रोजेक्ट का अप्रूव्ड लेआउट दिखाते हैं। इसे देखकर साफ मालूम हो सकता है कि योजना में कितने टावरों, कितनी मंजिलों और कितने मकानों के निर्माण की मंजूरी मिली है।

सिर्फ ब्राशर पर यकीन करने से आप गलतफहमी के शिकार हो सकते हैं। ब्राशर में अकसर बिल्डर चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं। अप्रूव्ड लेआउट से ही आपको मकान का वास्तविक एरिया पता चलेगा और आप कारपेट, बिल्ड-अप और सुपर एरिया के नाम पर होने वाली ठगी से बच सकते हैं।
कई बार यह देखा गया है कि बिल्डर अप्रूव मकानों से अधिक मकान या फ्लोर बना देते हैं और फिर लोगों को बेच देते हैं। हाल ही में कैंपा कोला सोसायटी के साथ ऐसा ही हुआ था। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि आप मकान खरीदने से पहले बिल्डर से कम्प्लीशन या ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट जरूर मांगें।

हालांकि, शहरी विकास के मामले में राज्यों और स्थानीय निकायों के नियम-कानून अलग-अलग होते हैं, लेकिन ऑक्यूपेंसी और कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने जैसी व्यवस्था तकरीबन सभी राज्यों और बड़े शहरों में है।

ये दोनों प्रमाण-पत्र बिल्डर को नगर निगम जैसे निकाय से मिलते हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इमारत का निर्माण सभी नियमों को पालन करते हुए अप्रुव नक्शे के आधार पर हुआ है और अब यह लोगों के रहने योग्य है।
किसी भी प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता जानने का एक आसान तरीका यह भी है कि आखिर कौन-कौन से बैंक उस प्रोजेक्ट के लिए फाइनेंस कर रहे हैं। अगर किसी प्रोजेक्ट के लिए सिर्फ कुछ गिने-चुने बैंक ही लोन दे रहे हों तो उस प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले सावधानी बरतना जरूरी है।

लुभावने ऑफर में न फंसें

कई बार यह देखा गया है कि बिल्डर लुभावने ऑफर देकर लोगों को फंसाते हैं। यदि आपको किसी बिल्डर की तरफ से कोई लुभावना ऑफर मिलता है तो फिर उसके बारे में पूरी जांच पड़ताल करें।

पता करें कि वह ऑफर मान्य भी है या नहीं। अगर मान्य है भी तो छुपे हुए चार्जेज के बारे में भी पता करें। कई बार बिल्डर हिडेन चार्जेज के बारे में नहीं बताते और बाद में उसका भी पैसा आपको ही चुकाना होता है।
किसी अचल संपत्ति की वैधता के मामले में दो चीजें महत्वपूर्ण हैं। पहली, जिस जमीन पर इमारत बनी है या बनने वाली है, वह किसके नाम है।

दूसरा, उस पर किया गया निर्माण नियमानुसार है अथवा नहीं। कई बार जमीन का मालिक कोई और होता है और उसे डेवलप कर प्रॉपर्टी कोई और बेच रहा होता है।

इसलिए किसी प्रोजेक्ट में मकान खरीदने से पहले लैंड टाइटिल (जमीन का मालिकाना हक) का पता जरूर लगाएं। इस काम में आप किसी प्रॉपर्टी के जानकार वकील की मदद भी ले सकते हैं।
- जहां भी आप घर खरीदने जा रहे हैं वहां पर पानी की सप्लाई, बिजली की सप्लाई और गैस जैसी जरूरतों के बारे में जरूर विचार करें।
- बच्चों की शुरुआती शिक्षा घर के नजदीक हो तभी अच्छा होता है, इसलिए हमेशा कोशिश करें कि आप जहां अपना नया घर ले रहे हों वहां आसपास आपके नन्हे मुन्हों के लिए स्कूल की सुविधा भी हो।
- भले ही आपके पास गाड़ी हो या न हो, लेकिन आप घर खरीदने से पहले पार्किंग सुविधा के बारे में पूरी जांच पड़ताल करें, ताकि भविष्य में जब आपके पास गाड़ी होगी तो आपको उसे खड़ा करने के लिए जगह की परेशानी न हो।
-लोग अक्सर सस्ता घर लेने की चाहत में बाजार से काफी दूर घर ले लेते हैं, लेकिन बाद में उन्हें इस पर पछतावा भी होता है। ऐसे में कोशिश करें कि बाजार आपके घर से अधिक दूर न हो, वरना आने जाने की लागत और लगने वाला समय बहुत अधिक हो जाएगा।- सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पूरा ध्यान दें। असुरक्षित इलाके में घर लेने से आपको न केवल आर्थिक, बल्कि शारीरिक हानि का भी खतरा रहता है।

Owned for Housing Board houses soon

हाउसिंग बोर्ड के मकानों में रहने वाले लोगों को प्रशासन जल्द ही मालिकाना हक देगा। इसके लिए खाका तैयार किया जाने लगा है। उम्मीद है अप्रैल के अंत तक नया आदेश जारी हो जाएगा।

इस समय हाउसिंग बोर्ड के 30 प्रतिशत मकान ऐसे है, जिनकी रजिस्ट्री (कनविंस डीड) नहीं हो पा रही है। मकानों में वायलेशन का हवाला देते हुए बोर्ड की ओर से साल 2012 से अब तक किसी को भी मालिकाना हक नहीं दिया गया है। हाउसिंग बोर्ड जिसे वायलेशन कह रहा है, उसे यहां रहने वाले नीड बेस्ड चेंज कह रहे हैं।

साल 2006 से 2012 तक हाउसिंग बोर्ड की ओर से हर हाल में मालिकाना हक दे दिया जाता था, लेकिन इसके बाद कहा गया कि वायलेशन वाले मकानों की डीड नहीं होगी। इसी पर विवाद भी होते रहे हैं।
शनिवार को भाजपा नेताओं के साथ सीएचबी फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासक कप्तान सिंह सोलंकी से मुलाकात की थी। इसके बाद चंडीगढ़ के हाउसिंग बोर्ड ने खाका तैयार करने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। खाका तैयार होने के बाद उसे मंजूरी के लिए प्रशासक को भेजा जाएगा। 

भाजपा का था चुनावी वादा

लोकसभा चुनाव में भाजपा के घोषणा पत्र में भी मालिकाना हक दिलाने का वादा किया गया था और भाजपा की मांग पर ही आईएएस मनिंद्र सिंह को हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन भी नियुक्त किया गया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मालिकाना हक देने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

पांच साल वाली शर्त भी हटेगी
इस समय हाउसिंग बोर्ड की ओर से उन मकानों को भी ट्रांसफर नहीं किया जा रहा है, जो पांच साल पहले ही खरीदे जा चुके थे। बताया जा रहा है कि नए खाके में पांच साल वाली शर्त हटाने की भी तैयारी है। अब यदि यह तैयारी सिरे चढ़ी तो सैकड़ों लोगों को इसका फायदा मिलेगा।
इस समय हाउसिंग बोर्ड के 48 हजार मकान हैं, जिनमें 95 प्रतिशत लोगों को वायलेशन के नोटिस जारी किए गए हैं। हाउसिंग बोर्ड इन जरूरत के अनुसार किए बदलावों को भी मंजूरी देने की तैयारी कर रहा है। इनमें वे बदलाव शामिल हैं, जो घर के अंदर है और उससे इमारत को खतरा नहीं है। इसके लिए प्रशासन की ओर से 100 से ज्यादा नीड बेस्ड चेंज की नोटिफिकेशन जारी की जाएगी। वहीं, जिन्होंने सरकारी जमीन पर वायलेशन की है, उन्हें किसी भी सूरत में रेगुलर नहीं किया जाएगा।

वायलेशन के फ्रेश नोटिस बंद: प्रशासक ने शनिवार को गृह सचिव को आदेश जारी कर कहा कि हाउसिंग बोर्ड के लोगों को तब तक फ्रेश नोटिस जारी नहीं किया जाए, जब तक कोई आगामी फैसला नहीं हो जाता है। प्रशासक ने अधिकारियों से यह भी कहा कि वह हाउसिंग बोर्ड के निवासियों की समस्याएं इस तरह दूर करें, जैसे प्रशासक भी यहीं के रहने वाले हैं।

निर्मल दत्त, चेयरमैन, सीएचबी फेडरेशन ने बताया कि मैं हाउसिंग बोर्ड के नए चेयरमैन और प्रशासक से इस मसले पर मिल चुका हूं। प्रशासक ने आश्वासन दिया है कि हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के निवासियों को मालिकाना हक दिया जाएगा और उनकी हर समस्याएं दूर कराई जाएंगी।

संजय टंडन, भाजपा अध्यक्ष के अनुसार उम्मीद है प्रशासन की ओर से अप्रैल के अंत तक फैसला सुना लिया जाएगा। वह मालिकाना हक और जरूरत के अनुसार बदलाव को मंजूरी दिलवाने के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ-साथ प्रशासक को पहले ही अवगत करवा चुके हैं। हाईकमान के आदेश पर ही प्रशासन ने खाका तैयार करना शुरू किया है।

अरुण सूद, भाजपा पार्षद दल के नेता ने बताया कि हाईकमान के साथ-साथ स्थानीय प्रशासक भी हाउसिंग बोर्ड के निवासियों की समस्याएं दूर करने के लिए गंभीर हैं। मकानों में नीड बेस्ड चेंज को जल्द ही रेगुलर करने का आश्वासन भी दिया गया है।

Circle rates not revised in faridabad

फरीदाबाद में प्रापर्टी खरीदना महंगा नहीं हुआ है। ज्यादातर क्षेत्रों में 2015-16 के सर्कल रेट (कलेक्टर रेट) यथावत रखे गए हैं।

जिससे खरीद-फरोख्त पर पहले से अधिक स्टांप लगाने की जरूरत नहीं होगी। कई क्षेत्रों में रेट बढऩे की जगह घट जरूर गए हैं। पहली बार है जब रेट बढ़ाने की जगह घटाए गए हैं।

नहरपार यानी ग्रेटर फरीदाबाद (ग्रेफ) के गांवों में भी रेट नहीं बढ़ाए गए हैं। यह अलग बात है कि मार्केट रेट में पिछले साल के मुताबिक काफी उछाल है। यहां के गांवों बुढैना, पलवली, बादशाहपुर, बड़ौली और वजीरपुर आदि में रेट पिछले साल की तरह की 1.5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ ही रखे गए हैं। ज्यादातर कॉलोनियों और सेक्टरों के रेट पुराने ही रखे गए हैं।

हुडा के सेक्टरों में रिहायशी, बूथ और दुकानों के मामले में सबसे महंगा 15 सेक्टर बना हुआ है। इतनी महंगी जमीन किसी अन्य सेक्टर में नहीं है। रिहायशी का 40, बूथ का 15 और एससीएफ का सर्किल रेट यहां 10 हजार है। कॉलोनियों में इरोज और चाम्र्सवुड का जलवा बरकरार है। औद्योगिक क्षेत्रों में भी जमीन खरीदने वालों को राहत दी गई है।

यहां हुआ महंगा:
-फरीदाबाद तहसील में कॅमर्शियल बेसमेंट से थर्ड फ्लोर तक के सर्कल में 300 से लेकर 1000 रुपये प्रति वर्ग फुट की वृद्धि हुई है। दिल्ली-मथुरा रोड पर रेट दोगुना कर दिया गया है। इसकी वजह मेट्रो और सिक्स लेन प्रोजेक्ट बताए जा रहे हैं। इस पर 1000 वर्गगज तक 24 की जगह 45 हजार रुपये कर दिए गए हैं। दो एकड़ के प्लाट में 12 से 25 हजार रुपये किए गए हैं।

यहां हुआ सस्ता:
-हुडा सेक्टरों में फ्लोरवाइज रजिस्ट्री करवाना पहले से सस्ता होगा। यहां 4200 रुपये वर्गफुट की जगह 4000 और कॅमर्शियल के 4300 की जगह 3700 रुपये वर्गफुट रेट तय किया गया है।